भारतीय ऋषियों, शूरमाओं, युध्दशास्त्रियों व् युध्द कला के खोजी गुरुओं के सम्मान को कायम रखने व् उस पर शोध करने भारतीय शौर्य कला जो की बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आत्मरक्षा हेतु प्रयोग में लाने व् विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के साथ भारतीय शौर्य कला का भी प्रचार प्रसार विदेशों में होना व् विदेशियों द्वारा अपने देश की मुहर लगाकर फिर से भारत में विभिन्न नामों से प्रविष्ट करना भारतीय शौर्य कला के लिए दुर्भाग्य की बात रही है और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हे की आज हम भी यही मानने लगे हैं यह नियुद्ध कला विदेशों से भारत में आई है और बड़े शौक से जेपनीज व् चायनीज मानकर उन्ही की शैली में नियुद्ध अभ्यास करके खुश होते हैं। इतिहास गवाह है की मूल रूप से यह कला भारतीय ही है।
आज तक भारतीय शौर्य कला पर कोई शोध करने की कोशिश ही नही की। यह भारतीय शौर्य कला का दुर्भाग्य नही तो और क्या है।
इंडो - ओरिजिन मार्शल आर्टस वै. एसो. का मुख्य उद्देस्य भारतीय शौर्य कला की बारीकियों को खोज खोज कर प्रत्येक भारतीय तक पहुँचना व् देश में शांति, अनुशाशन आत्मक्षा हेतु प्रयुक्त कर भारतीय शौर्य कला से प्रत्येक भारतीय को लाभन्वित करना है।
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